राज्यपाल को अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस पर न बुलाना कांग्रेस की संकीर्ण सोच: सुरेश कश्यप
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शिमला: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुरेश कश्यप ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में राज्यपाल को आमंत्रित न करना उनकी संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर, जिन्होंने समानता और समरसता के मूल्यों को समाज में स्थापित किया और शोषित-वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रमों से राज्यपाल को दूर रखना अस्वीकार्य है।
कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सरकारी और गैर-सरकारी कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें मुख्यमंत्री ने भी भाग लिया, लेकिन प्रदेश के प्रथम नागरिक को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने इसे कांग्रेस सरकार की एकतरफा सोच और संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन बताया।
सुरेश कश्यप ने आगे कहा कि राज्यपाल का पद एक संवैधानिक संस्था है, और उनका हमेशा प्रदेश के हितों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रहा है। सरकार का यह रवैया राज्यपाल के प्रति अनादर को दर्शाता है, जबकि उनके पास प्रदेश से संबंधित कोई भी विधेयक लंबित नहीं है।
भाजपा सांसद ने कांग्रेस के दो साल के शासनकाल पर निशाना साधते हुए कहा कि इस दौरान प्रदेश का विकास ठप हो गया है, और कर्ज पर कर्ज लेकर राज्य को वित्तीय संकट में धकेला गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि खनन माफिया और भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस ने अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस 11 दिसंबर को अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाने की योजना बना रही है, लेकिन प्रदेश की जनता इस सरकार से मोहभंग हो चुकी है। सुरेश कश्यप ने इसे कांग्रेस की ‘नाकामियों का उत्सव’ करार देते हुए कहा कि सरकार की गलत नीतियों ने प्रदेश को विकास के मामले में कई साल पीछे धकेल दिया है।
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