काँग्रेस सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण प्रदेश संकट में: चेतन बरागटा
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दिनांक: 3 दिसंबर, 2024
काँग्रेस सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण प्रदेश संकट में: चेतन बरागटा
वित्तीय कुप्रबंधन के बावजूद काँग्रेस सरकार जश्न मना रही है, जबकि जनता संकट में है!
भा.ज.पा. प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश आज गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, जो केवल काँग्रेस सरकार की गलत नीतियों और लापरवाही का परिणाम है।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित ₹6,200 करोड़ के ऋण सीमा को महज 9 महीनों (अप्रैल से दिसंबर 2024) में समाप्त कर दिया है। इस स्थिति में सरकार ने अब अंतिम तिमाही के लिए नया ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
प्रदेश को प्रत्येक माह आवश्यक खर्चों जैसे वेतन और पेंशन के लिए ₹2,000 करोड़ की आवश्यकता है। इस माह सरकारी कर्मचारियों को वेतन मिल चुका है, लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब तक पेंशन नहीं मिल पाई है। यह न केवल आर्थिक संकट को दर्शाता है, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को भी उजागर करता है।
बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विकास के लिए जरूरी राजस्व उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों, जैसे पर्यटन, उद्योग, और बागवानी, पर ध्यान देने के बजाय काँग्रेस सरकार ने अपनी कुप्रबंधन से राज्य को ऋण पर निर्भर बना दिया है।
मुख्यमंत्री का यह बयान कि वेतन और पेंशन में देरी इसलिए की गई ताकि ऋण पर ब्याज बचाया जा सके, यह सिद्ध करता है कि काँग्रेस सरकार किस प्रकार अपने वित्तीय कुप्रबंधन को छिपाने का प्रयास कर रही है।
हिमाचल प्रदेश को प्रभावी प्रशासन और जिम्मेदार आर्थिक नीतियों की आवश्यकता है। काँग्रेस सरकार की गलत नीतियों ने न केवल राज्य को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुँचाई है।
बरागटा ने काँग्रेस द्वारा दो वर्षों की पूर्णता पर किए जा रहे जश्न पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि काँग्रेस इस बात का जश्न मना रही है कि उसने वित्तीय कुप्रबंधन करके प्रदेश की जनता को संकट में डाला और प्रदेश को 20 वर्ष पीछे धकेल दिया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लगातार हिमाचल प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हैं, जबकि काँग्रेस सरकार को अपनी गलतियों से सीख लेते हुए राज्य को इस वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
प्रेषक:
चेतन सिंह बरागटा
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